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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

श्री रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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श्री रामनवमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
दोस्तों/पाठकों, नौ दिन की अटूट तपस्या,अराधना,त्याग और व्रत उपवास के बाद जब आप सभी का मन निर्मल, पाप मुक्त और विकार मुक्त हो गया होगा. तब मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी का संदेश "जियो और जीने दो" के सिद्धांतवादी,भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने वाले मर्यादित पुरुषोत्तम राम के जन्मदिन उत्सव के इस त्यौहार रामनवमी पर आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.जरा हम आज सोचे! जरा हम समझें और जरा हम आत्मचिंतन करें. अपने पिता के एक वचन के लिए जिसने सौतेली माँ का सम्मान करते हुए अपनी जिंदगी गुज़री हो. जिसके पास असीम शक्ति हो और उसने समुंदर को अपने तीर से सुखाने के स्थान पर उस जगह पुल बनाया हो. जिसने पाप मुक्त समाज दिया हो. बुराई पर विजय प्राप्त की हो. क्या हम ऐसे मर्यादित पुरुषोत्तम राम को पूजनीय और वन्दनीय मानते हैं? हम दिल पर हाथ रखकर देखे उनकी कौन-सी ऐसी शिक्षा है, जिसका हम पालन कर रहे हैं? क्या हम मर्यादित हैं? क्या हमें इन हालातों में जब मुंह में राम बगल में छुरी है, तब हमें खुद को राम का भक्त कहा जाना चाहिए? आखिर हमारे कर्म रावण की तरह और पूजा राम की.क्या इन हालातों में हमे सच्चा रामभक्त बनने के लिए भूख,गरीबी,बुराई,भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग नहीं लड़नी  चाहिए? बुराई को नहीं बल्कि अच्छाई को उजागर नहीं करना चाहिए.अगर हाँ,तब उठो दोस्तों भगवान राम के दिखावटी भक्त बनकर मन में जो रावण बैठा है. उसका वध कर दो और देश को  भ्रष्टाचार मुक्त रामराज्य स्थापित करने का संकल्प लेकर तैयार हो जाओ. जिससे मेरा भारत देश मर्यादा पुरुषोत्तम राम का यह देश गर्व से कह सके कि- मेरा भारत महान है और मेरा भारत महान रहेगा.एक बार फिर से रामनवमी की सभी भक्तजनों को हार्दिक शुभकामनाएं.अख्तर खान 'अकेला' कोटा(राजस्थान)
साँई  बाबा  के  दर्शन  करें
रमेश कुमार जैन ने लिखा था कि-चोरी हो गई चोरी. आपके शब्दों की चोरी कर ली मैंने भाई साहब जी, चोरी करके ही अपने ब्लॉग पर सार्वजनिक भी कर रहा हूँ. चोरी का केस आप कोटा में डालेंगे या दिल्ली में. इसकी सूचना ईमेल पर भेज देना. चोरी का मुख्य कारण आपकी उपरोक्त पोस्ट में जनहित को संदेश और आज तक आपका "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार के इन्टरनेट संस्करण का निवेदन स्वीकार न करना और एक भी देशहित व जनहित हेतु उपरोक्त ब्लॉग हेतु पोस्ट प्रकाशित के लिए नहीं भेजना. यह था आपका जुर्म. आपके लेख की हमने चोरी कर ली है. यह है हमारा जुर्म. सजा जो आप देना चाहे.
      रमेश भाई नये अंदाज़ की नई टिप्पणी के लिए शुक्रिया. लेकिन भाई चोरी तो उस चीज़ की होती हैं.जो अपनी नहीं होती.इसलिए भाई हम और हमारा जो कुछ भी हैं सब आपका अपना है. इसलिए चोरी का सवाल ही नहीं उठता. हाँ, जहां तक सवाल हमारे जुर्म का हैं. उसके लिये हम माफ़ी चाहते हैं. शिकायत जल्द दूर होगी.-अख्तर खान 'अकेला',कोटा(राजस्थान)         
रमेश कुमार जैन ने लिखा था कि-अख्तर खान 'अकेला' जी, आपकी टिप्पणी का अनुवाद और संपादन भी कर दिया है, क्योंकि आपका छोटा भाई हिन्दीप्रेमी जो है. इस सन्दर्भ में मेरे विचार निम्नलिखित है. अगर आप सच में भारत देश के प्रति ईमानदार है और देश से भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं. भ्रष्टाचार से मुक्त भारत देश को बनाने के लिए हम क्यों भाषा भी विदेशी का प्रयोग करना पड़ रहा है. राष्ट्र के प्रति हर व्यक्ति का पहला धर्म है अपने राष्ट्र की राष्ट्रभाषा का सम्मान करना. अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.

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