यह लिंक जरुर देखें-कैसे लोग चेहरे पर मुखौटा लगाए हुए है ?
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रमेश कुमार सिरफिरा आपके कुछ ही महीनों में हमारे प्रति कैसे विचार बदल गए सनद है आपको देखें-रमेश जी , अत्यंत शोधपरक आलेख है। गहन विवेचना की है आपने कानून की , उसमें त्रुटियों की एवं सुधार की।आपके विचारों से सहमत हूँ । सदियों पूर्व के नियम जो चले आ रहे हैं वे तेज़ी से बदलती परिस्थियों और समय के अनुकूल नहीं हैं। इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार की ज़रुरत है और सरकार के द्वारा सार्थक बदलावों की । . पति द्वारा क्रूरता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव पर
ZEAL 5/16/11 को
लगभग एक घंटा पहले ·
रमेश कुमार सिरफिरा आज हमारी बातें बकवास हो गयी कल तक अच्छी थी देखें-आपने अपने नाम के आगे 'सिरफिरा' क्यूँ लिखा है ? आपका लेखन तो अत्यंत गहन विश्लेषणात्मक है। आपकी ऊर्जा एवं चिंतन से प्रभावित हूँ। . पति द्वारा क्रूरता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव पर, ZEAL -5/16/11 को
लगभग एक घंटा पहले ·
रमेश कुमार सिरफिरा डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी, मुझे नहीं मालूम आपकी लेखनी के किस प्रशंसक ने आपकी उपरोक्त पोस्ट को इस लिंक http://blogkikhabren.blogspot.com/ 2011/07/blog-post_20.html पर चार चाँद लगाकर बहुत खूबसूरत बना दिया है. आप एक बार वहाँ जरुर जाकर आये. यहाँ आपको सिर्फ सूचित कर रहा हूँ. आपसे अपने हर ब्लॉग की हर पोस्ट पर टिप्पणी नहीं मांग रहा हूँ. मुझे तो अब कोई भीख भी नहीं देता है. फिर टिप्पणी(विचारधारा) क्यों दें या देंगा. पढ़े-लिखों की दुनियाँ में इस अनपढ़ व गंवार सिरफिरे की विसात कहाँ? इस पागल का कोई दिन-मान नहीं है.क्या पता किसको काटने दौड़ पड़ें?
जरुर देखे."प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया को आईना दिखाती एक पोस्ट"
लगभग एक घंटा पहले · ·
रमेश कुमार सिरफिरा डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी,क्या यह शब्द आपके नहीं थें हमारे बारें में-ZEAL said....Ramesh ji , Reached here by the link you have provided on my post . Thanks. You are indeed a fearless writer and brutally honest as well. Best wishes ! रमेश जी, लिंक तुम मेरी पोस्ट पर उपलब्ध कराई है द्वारा यहाँ पहुँच गया है. धन्यवाद. आप वास्तव में एक निडर लेखक और क्रूरता के रूप में अच्छी तरह से ईमानदार हैं. शुभकामनाएं.
लगभग एक घंटा पहले ·
रमेश कुमार सिरफिरा डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी, आज क्या मैं ईमानदार नहीं रहा ? आप अपने ब्लॉग पर तो मेरी टिप्पणी और प्रश्न हटा चुकी है यहाँ से हटाए. आपको कारण बताना चाहिए था कि मेरे लिंक में क्या कमी थी.
लगभग एक घंटा पहले ·
रमेश कुमार सिरफिरा डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी, अगर आपने यह लिखा था कि "फेसबुकिया नागरिक चोरी भी करते हैं ? मेरी पिछली पोस्टों को "सुमित फंडे " तथा कुछ अन्यों ने चोरी से कट-पेस्ट कर अपनी वाल पर लगा ली! भ्रष्टाचार फेसबुक पर भी ? यदि पोस्ट पसंद आये तो शेयर करनी चाहिए, चोरी नहीं!--जनलोकपाल लाओ--भ्रष्ट चोर हटाओ--देश बचाओ !" और "आजाद भारत में हर व्यक्ति स्वतंत्र है अपनी बात कहने के लिए ! यदि पसंद ना आये तो व्यक्तिगत आक्षेप नहीं करना चाहिए" लिख रही है. तब हमारे इस लिंक में क्या कमी थी देखें:-http://sirfiraa.blogspot.com/2011/ 12/blog-post_11.html
लगभग एक घंटा पहले · ·
रमेश कुमार सिरफिरा डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी, अगर आपने यह लिखा था कि-बुद्धिजीवियों को आलस्य त्याग देना चाहिए! यदि सारे बुद्धिजीवी अपने मतदान का प्रयोग करें तो इस "चौपट राजा" को गिराया जा सकता है और अपने देश को "अंधेर नगरी" से बनने से बचाया जा सकता है! नादान और मासूम जनता को छोटे-छोटे प्रलोभनों द्वारा आसानी से खरीदा जा सकता है, लेकिन बुद्धिजीवियों को फुसलाना आसान नहीं है ! तख्ता पलटो ! देश बचाओ ! --- वन्देमातरम ! और "माटी का कर्ज उतार दो , अपने देश के साथ प्रेम करके !" तब हमारे इस लिंक में क्या कमी थीं देखें:-http://rksirfiraa.blogspot.com/ 2011/12/blog-post_24.html
लगभग एक घंटा पहले · ·
रमेश कुमार सिरफिरा डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी, क्या यह आपकी कथनी और करनी हैं ? आप इससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकती थीं. आप किसी की आलोचना कर सकती हैं, मगर सहन नहीं कर सकती. आप कहना ही जानती है कि "माटी का कर्ज उतार दो , अपने देश के साथ प्रेम करके !" आपकी उचित टिप्पणी पर उचित लिंक दिए थें. आज इतना पता चल गया कि आप चापलूस लोगों को ही पसंद करती हैं.
लगभग एक घंटा पहले ·
रमेश कुमार सिरफिरा हम अपने दोस्तों को यह कहते हैं कि "दोस्तों, एक बात कहे. जब कभी आपको समय मिले तो हमारी पूरी "वाल" और ब्लॉग भी पढ़ें. आप हमारी प्रशंसा न करें मगर पढ़कर कुछ भी बुरा लगे तब आप स्वस्थ मानसिकता से हमारी निष्पक्ष होकर उचित तर्क-वितर्क करते हुए सभ्य भाषा में "आलोचना" जरुर करें. जिससे हमें लगे कि आप हमारे असली शुभचिंतक है. क्या आप बनना चाहोंगे मेरे शुभचिंतक ? यदि हाँ, तब अपनी यहाँ हाजिरी जरुर लगाओ.
लगभग एक घंटा पहले ·
रमेश कुमार सिरफिरा डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी, क्या आप मुझे "बकवास" शब्द की परिभाषा बताएंगी, क्योंकि आप स्वयं एक बुध्दिजीवी वर्ग से है ?
58 मिनट पहले ·
रमेश कुमार सिरफिरा मैं आदरणीय हमारी वाणी के संचालक से यह जानना चाहता हूँ कि आप भी हमारी उचित तर्कों के साथ की टिप्पणी को हटाएंगे. जैसा- काफी समय पहले भाई अनवर जमाल खान की टिप्पणियाँ और पोस्टों को हटा दिया गया था यानि विचारों की अभिव्यक्ति का गला घोटा जायेगा.
53 मिनट पहले ·
Divya Srivastava 7 घंटे पहले Divya Srivastava
tumhari bakwaas jhel li....unfriend bhi kar diya....Good Bye !