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नेत्रदान का मेरा आई-कार्ड |
ब्लॉगर दोस्तों/ पाठकों, मैंने आज से लगभग तीन साल पहले ही अपने नेत्र (आँखें) दान (जिसका जिक्र मैंने छह अगस्त 2010 की
"गुड़ खाकर, गुड़ न खाने की शिक्षा नहीं देता हूँ" पोस्ट में भी किया था) कर दी थी और उसके बाद ही एक संकल्प लिया था कि-कम से कम हर साल 20 व्यक्तियों अपने नेत्रदान करने के लिए समझाकर(कन्वेस) उनके नेत्रदान करवाऊंगा. मैं आठ-दस लोगों के ही नेत्रदान करवा पाया था कि-मेरे ससुराल वालों की हद से ज्यादा मेरे वैवाहिक जीवन में दखलांदाजी और पत्नी की दूषित मानसिकता ने मेरे सभी देशहित और सामाजिक कार्यों रोक दिया. अपने समाचार पत्रों के माध्यम से समाज व देशहित के बहुत से कार्य करता था. मगर आज यह स्थिति है कि-अब घर से बाहर भी बहुत कम निकलना होता हैं, क्योंकि अब स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और कठिन परिक्षम भी नहीं होता हैं. दो साल से चली आ रही डिप्रेशन की बीमारी ने और हर रोज एक नई समस्याओं ने अब याद रखने की क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया हैं. अब भी कई व्यक्ति मिलते हैं नेत्रदान करने के इच्छुक मगर आर्थिक कारणों से उनके (दूर रहने वाले व्यक्तियों के ) पास जाना संभव नहीं हो पाता है.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे?
मैंने आपके लिए यहाँ पर एक खाली और एक भरा हुआ फॉर्म के साथ पढने योग्य सामग्री भी दी है. अगर आपके राज्य में क्षेत्रीय नेत्रदान शाखा हो तो वहां पर अपना फॉर्म जमा करवाए. किसी प्रकार की परेशानी (समय या कहीं आने-जाने की) हो तब फॉर्म भरकर मुझे डाक या कोरियर से भेज दें. मेरा प्रकाशन परिवार आपके फॉर्म को पहुँचाने की स्वंय व्यवस्था करेंगा. आपसे विनम्र अनुरोध है कि-नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें.धर्म और जाति से ऊपर उठकर नेत्रहीनों व देशहित में अपना योगदान जरुर करेंगे. ऐसा मुझे पूरा विश्वास है. अगर आप चाहे तो आपका आई-कार्ड आने पर मुझे ईमेल से सूचना भिजवा दें. तब आप लोगों का नाम अपने समाचार पत्र या ब्लॉग पर प्रकाशित कर दूंगा. जिससे कुछ अन्य व्यक्ति भी प्रेरणा लेकर नेत्रदान कर सकें. आपके मन में कोई दुविधा है. तब फ़ोन करें.
हमारा पता :- शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन
A-34-A,शीश राम पार्क,सामने-शिव मंदिर,उत्तम नगर,नई दिल्ली-110059 फ़ोन : 09910350461,09868262751, 011-28563826
प्रिय रमेश कुमार जैन जी मुझे बहुत अच्छा लगा की आप मेरे ब्लॉग पर आए और आपने मेरे टूटे फूटे लेखों को पढ़ा , मैं भी अक्सर आपके ब्लॉग पर आता रहता हूँ पर समय के अभाव के कारण कोई टिप्पणी ना कर पाने का अफ़सोस होता है परन्तु आपकी विचार धारा से खासा प्रभावित हूँ , मुझे भी नेत्र डान करना है कृपया बताएं कैसे कर सकता हूँ में ये कार्य , आपके जबाब का इन्तजार रहेगा !
जवाब देंहटाएंमेरा मेल पता है krantikrideshsevak@gmail.com
mobile 09816672764
श्रीमान क्रांतिकारी हिन्दोस्तानी देशभक्त जी, लगता है आपने उपरोक्त पोस्ट ठीक से नहीं पढ़ा है. लेकिन कोई बात नहीं, पोस्ट में फॉर्म का प्रिंट निकाल कर उसको भरकर मुझे भेज दो. उपरोक्त पोस्ट को ध्यान से पढो तब काफी कुछ समझ आ जाएगा. आपने नेत्रदान करने का संकल्प लिया उसके लिए शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार आपको सलाम करता है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे विचार हैं! नेत्रदान करना बहुत ही बढ़िया काम होता है! बेहतरीन पोस्ट!
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