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सोमवार, 14 मार्च 2011

शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड.

शकुन्तला प्रेस  कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड
आज अपनी पत्नी द्वारा फर्जी मुकद्दमों के कारण मानसिक "डिप्रेशन" की बीमारी के अलावा अनेकों बिमारियों की वजय से कुछ अच्छी रचनाएँ /लेख  नहीं लिख/कह पाता  हूँ. न्याय व्यवस्था के अधिकारियों द्वारा अपना कर्तव्य व फर्ज ईमानदारी से नहीं निभाने के कारण कैसे मेरा जीवन और भविष्य लगभग चौपट हो गया है. इसलिए अपने ब्लॉग पर भी नियमित रूप से पोस्ट नहीं लिख पाता हूँ. आज मेरे समाचार पत्र बंद हो चुके हैं. इसलिए फ़िलहाल शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार को इन्टरनेट पर लाया गया है. शायद आप में से कुछ लोगों का साथ मिलने पर फिर दुबारा से खड़ा करने हिम्मत हो जाएगी. मैंने सन 2006 में अपना डिजिडल कैमरा खरीदा था. उसके बाद तो मेरी पत्रकारिता में बहुत ज्यादा निखार आना शुरू हो गया था. मगर घरेलू क्लेश ने मुझे कभी भी चार कदम आगे ही नहीं बढ़ने दिया. जब कठिन मेहनत करके चार कदम आगे बढ़ाये तभी बिना मतलब बात पत्नी ने क्लेश करके मुझे आठ कदम पीछे कर दिया. इसी तरह आठ-आठ कदम पीछे होते- होते आज लगभग कम से कम 15साल पीछे हो गया हूँ. जब तक मानसिक रूप से  ठीक नहीं हो जाता हूँ. तब तक अपनी कुछ फोटो के माध्यम से पुरानी यादें ताज़ा करूँगा. जब-जब समय मिला और मानसिक शांति मिली तब आपको  इस पर नए समाचारों और फोटो से अवगत करूँगा.

3 टिप्‍पणियां:

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