हम हैं आपके साथ

कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे

आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.

रविवार, 20 मार्च 2011

शकुन्तला प्रेस को ऐसे चाहिए पत्रकार.

शकुन्तला प्रेस  कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-3 
पिछले 3-4 दिनों में तीन-चार ब्लोगों पर कुछ पोस्ट पढ़ी. टिप्पणियाँ पोस्ट की. टिप्पणियों में कहीं गिले-शिकवे किये, कही सुझाव दिए. कहीं अनुभव बांटा और कही मदद की इच्छा व्यक्त की. जैसा आप सभी अवगत होंगे ही इन दिनों मैं अपनी डिप्रेशन की बीमारी के चलते ज्यादा देर किसी चीज़ में ध्यान  नहीं लगा पता हूँ . पिछले कई दिन से दैनिक अखबार पढने में बिलकुल भी मन नहीं लग रहा है.ज्यादा कुछ लिखा नहीं है. इसलिए आज  फिर कुछ ब्लोगों पर की कुछ मुख्य टिप्पणियाँ  यहाँ पर प्रकाशित है.
 मुख्य टिप्पणियाँ
क्या आपके ब्लॉग में टिप्पणीकर्त्ता की फोटो प्रकाशित नहीं होती है. क्या इसके लिए कोई तकनीकी कार्य संपन्न करना होता है. फोटो को प्रकाशित करने की व्यवस्था करें. चाहे मेरी न हो मगर बाकी सभी की जरुर करें. इससे टिप्पणीकर्त्ता को पहचाना आसान होता है. दुनिया गोल और बहुत छोटी है. कभी कहीं मुलाकात हो जाये तो कम से कम राम-राम करके उनका हालचाल पूछा जा सकता है. हर इंसान का हर दूसरे इंसान से एक इंसानियत का रिश्ता भी तो है.

आपने काफी अच्छी जानकारी दी है. इन्टरनेट की दुनियां का यह नाचीज़ अनपढ़, ग्वार इंसान आपके दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोशिश करेंगा. कहते हैं कि-कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, मुझे सफलता मिली या असफलता इसके बारें में आपको सूचित जरुर करूँगा. अगर किसी प्रकार की कोई परेशानी हुई तब भी आपसे मदद की अपील करूँगा.  

शिशु का मस्तिष्क पहले दो वर्षों में अधिक विकास करता है. जहाँ बच्चे के मामा, मौसी-मौसा, माँ और नाना-नानी जान से मरने की धमकी दे रहे हो तब वहां मजबूर पिता क्या करें? जहाँ बच्चे से न मिलवा या दिखाया जा रहा हो? पिता के पास वकीलों की फ़ीस और अधिकारीयों के लिए रिश्वत न हो और कानून पांच साल से पहले कस्टडी नहीं देता हो.एक मजबूर पिता की फरियाद कौन सुनेगा ? क्या हमारी न्याय व्यवस्था में बदलाव के लिए संसद को शीघ्रता से कठोर से कठोर कानून बनाने के प्रयास नहीं करने चाहिए?

ब्लॉग-राग: ब्लॉग पर लगने वाला है प्रतिबन्ध अगर ऐसा हुआ तब मूल अधिकार अभिव्यक्ति की स्वंतन्त्रता का हनन तो होगा ही और ऐसी सोच रखने वाले(अधिकारीयों व सरकारों) को भारत देश में अधिकारों को लेने के लिए होने वाली क्रांति के तैयार रहना चाहिए. मेरा विचार है कि-ब्लोगों पर अश्लील सामग्री, किसी धर्म का अपमान करने आदि के उद्देश्य से लिखी पोस्टों पर नजर जरुर रखी जानी चाहिए और उनको प्रतिबंध भी जरुर करना चाहिए.

श्रीमान राज भाटिया जी, अपने ब्लॉग परिवार में इस नाचीज़ के ब्लोगों को शामिल करने के योग्य माना. इसके लिए आपका व आपकी पूरी तकनीकी टीम को धन्यबाद स्वीकार कीजिये. 

प्रिय ओमप्रकाश(बदला हुआ नाम) जी, आपके ब्लॉग का थोडा-सा अवलोकन किया है. बहुत अच्छी साज-सज्जा के साथ आपके ब्लॉग पर जानकारियों का असीमित भंडार है. आपके प्रति जानने की बहुत जिज्ञासा है. क्यों इतना हुनर होने के बाद भी आपको कोर्स की कोई डिग्री लेने के लिए....., क्या आप कहीं नौकरी नहीं करते हैं.....आदि. जहाँ तक आपकी मदद(25 रूपए का फॉर्म बड़ा झमेला, क्या कोई मदद करेगा)की बात हैं. मैं आर्थिक रूप से असमर्थ हूँ. मेरे हालत बहुत खराब है. मेरा पेशा व स्वाभिमान मुझे भीख मांगने की गवाही नहीं दें रहा है. वरना कब की भीख भी मांग ली होती. मेरा दर्द मेरे ब्लोगों का मन से अवलोकन(हर पोस्ट पढ़कर) करने पर थोड़ा बहुत महसूस किया जा सकता है. अगर आप समर्थ हो तो एक बार फ़ोन पर मुझसे बात करलें. कुछ अपने फॉर्म से जुड़ी जानकारी दे दें. तब सबसे पहले आप तक फॉर्म पहुँचाने की व्यवस्था करने के प्रयास कर सकता हूँ. आपके लिए तन-मन से कोशिश करूँगा, धन में असमर्थ हूँ. अगर आज ही फ़ोन करते हैं, तब कल ही इन्दरलोक, दिल्ली फॉर्म लेने जा सकता हूँ. अपने कुछ महत्वपूर्ण कार्य न करके सर्वप्रथम आपकी मदद करना मेरा कल का मुख्य कार्य होगा. आप फॉर्म को झमेला न समझे, जब आप हर जगह से हो जाए निराश तब आप इस नाचीज़ दोस्त को करना एक बार दिल (मन) से याद. मंदिर, मजिस्द,चर्च और गुरूद्वारे में जाकर मुझे वो शांति नहीं मिलती है. जो किसी की मदद करने में मिलती हैं. मन से आपके जवाब का इन्तजार है...आपका नाचीज़ दोस्त- रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

प्रिय
ओमप्रकाश(बदला हुआ नाम)(25 रूपए का फॉर्म बड़ा झमेला, क्या कोई मदद करेगा) जी, आपने धोती को फाड़कर रुमाल कर दिया. आपने ईमेल का जवाब देना तो छोडो. बल्कि मेरी टिप्पणी तक को भी हटा दिया. अगर आपको मदद मिल चुकी है या आपका काम बन गया है.तब आपको अपनी उपरोक्त पोस्ट पर सूचना देनी चाहिए.क्या आपकी नैतिकता यही कहती है? आज इसलिए ही लोग किसी की मदद के लिए आगे नहीं आते हैं.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

यह हमारी नवीनतम पोस्ट है: