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बहन स्वर्गीय शकुन्तला जैन की दिनांक 31 जनवरी 2023 को 38वीं पुण्यतिथि के अवसर पर परिवार के सभी सदस्य भाव-विभोर होकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। जो हमारे लिए सदास्मणीय और प्रेरणास्त्रोत है। हम उनके दिखाए मार्गदर्शन पर चलते हुए कार्य करते रहेंगे। शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन ब्लॉग और शकुन्तला एडवरटाईजिंग एजेंसी, शकुन्तला महिला कल्याण कोष, शकुन्तला इंटरप्राइज, शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र/पत्रिका बहन स्वर्गीय शकुन्तला जैन को समर्पित है।
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शुक्रवार, 3 जनवरी 2014
"जीवन का लक्ष्य" (1-15 Dec.2013) पाक्षिक समाचार पत्र
मेरे फेसबुक के सभी दोस्त "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र के नए अंक को पढ़ें. आप भी पढ़ें और दूसरों को पढ़ने के लिए भेजें. यदि फेसबुक के मेरे सभी दोस्त या पाठक "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो http://shakuntalapress.blogspot.in/ यहाँ पर जाकर जहाँ पर यह (यहाँ आप अपना ईमेल भरकर नई प्रकाशित सामग्री ईमेल पर ही प्राप्त कर सकते हैं) लिखा है. अपनी ईमेल भर दें. उसके बाद आपको अपने आप ईमेल से "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र का नया अंक मिल जायेगा.
1 टिप्पणी:
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निदिध्यासन याने अपने आपको आप ही अभ्यासः कराना जिससे आत्मकल्याण हो | जो जीवनका लक्ष्यभी है | जड़ शरीर, इन्द्रिया, मन और बुद्धिसे परे खुशामत खुदा को ही प्यारी होती है | इससे नीचे जड़ता गए तो ईश्वरको बुरा लगता है | बस वैसेही जड़ता से परे पतीही परमेश्वर है | मंदीरमें रखीं ईश्वरकी प्रतिमा का दर्शन करते हुवे जो अपने अंदर चेतन का अनुभव करता है उसे ही ईश्वर दर्शनका लाभ होता है | जिसे भगवद गीतामें कुछ ऐसे वर्णन किया है ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन अमल शहजा सुख राशी | जिसे हम कुछ ऐसेभी समझ शकते है हमारे अंदर के चेतनका सहारा लेके शरीर और मन - बुद्धि को मल रहित करना जिससे ईश्वर चैतन्य का अमल हो शके हमारे द्वारा इस जगपे जो उस चैतन्य ईश्वरकाही है |
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